Aate ki Panjiri Recipe in Hindi : आटे की पंजीरी का भोग जन्माष्टमी के पावन पर्व पर बनाया जाता हैं। मन जाता हैं कि यह भगवान श्री कृष्ण का प्रिय भोग है। यह डिश खाने में स्वादिष्ट होने साथ-साथ सेहत के लिए भी फायदेमंद है। पंजीरी का भोग घर पर बनाना बहुत ही आसान है तो आइए जानते है पंजीरी का भोग बनाने की विधि।
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आवश्यक सामग्री || Ingredients for Aate ki Panjiri Recipe in Hindi
गेहूं का आटा – 1 कप
घी – 1/2 कप
चीनी – 1/2 कप (पिसी हुई)
मखाने – 1/4 कप
सूखा नारियल (कसा हुआ) – 1/4 कप
बादाम – 10-12 (कुटे हुए)
काजू – 10-12 (कुटे हुए)
इलायची पाउडर – 1/2 चम्मच
गोंद – 2-3 चम्मच
अखरोट (वैकल्पिक) – 2-3 (कुटे हुए)
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बनाने की विधि || How to make Aate ki Panjiri Recipe in Hindi
गोंद तलें
एक कड़ाही में थोड़ा सा घी गर्म करें और उसमें गोंद डालें। गोंद फूलने तक तलें और फिर इसे ठंडा होने के बाद कूटकर अलग रख दें।
मखाने तलें
उसी कड़ाही में घी डालकर मखानों को हल्का सुनहरा होने तक तलें। ठंडा करके इन्हें भी छोटे-छोटे टुकड़ों में कूट लें।
आटे को भूनें
कड़ाही में बचे हुए घी को गर्म करें और उसमें गेहूं का आटा डालें। धीमी आंच पर इसे हल्का भूरा और खुशबू आने तक भूनें। इसमें लगभग 10-15 मिनट लग सकते हैं। ध्यान रखें कि आटा जल न जाए।
सूखे मेवे मिलाएं
जब आटा अच्छी तरह से भुन जाए, तो इसमें कुटे हुए मखाने, बादाम, काजू, गोंद, और नारियल डालें। सभी सामग्री को अच्छे से मिलाएं और 2-3 मिनट तक और भूनें।
चीनी और इलायची मिलाएं
अब गैस बंद करें और मिश्रण को हल्का ठंडा होने दें। फिर इसमें पिसी हुई चीनी और इलायची पाउडर मिलाएं। ध्यान रखें कि चीनी मिश्रण के ठंडा होने पर ही डालें, वरना वह पिघल जाएगी और पंजीरी चिपचिपी हो जाएगी।
पंजीरी तैयार है
आपकी स्वादिष्ट आटे की पंजीरी तैयार है। इसे ठंडा करके एयरटाइट कंटेनर में भरकर रखें। यह पंजीरी 2-3 सप्ताह तक ताज़ा रहती है।
आटे की पंजीरी (Aate ki Panjiri Recipe in Hindi) भारत के कई हिस्सों में खासतौर पर उत्तर भारत में प्रसाद के रूप में बनाई जाती है। इसे धार्मिक और सांस्कृतिक अवसरों पर बांटा जाता है, खासकर जन्माष्टमी और व्रत के समय। पंजीरी का पारंपरिक महत्व विशेषकर शारीरिक ताकत और ऊर्जा देने में है। नई माताओं को यह विशेष रूप से दी जाती है, क्योंकि यह शरीर को गर्मी और ताकत प्रदान करती है। इसमें इस्तेमाल होने वाले सूखे मेवे और घी शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाने में मदद करते हैं।
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